महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हजारों किसानों के जीवन में खिली उम्मीद की किरण: ग्लोबल विकास ट्रस्ट ने कर दिखाया कमाल।
किसानों की प्रति एकड़ वार्षिक आय दस गुना बढ़ी, बीड परली जैसे आत्महत्या और सूखा प्रभावित इलाकों में उनकी आय 38,600 रूपये सालाना से बढ़कर 3,90,000 रूपये हुई
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 4,000 गांवों में 22,000 से अधिक किसान परिवारों को गरीबी से सफलतापूर्वक मुक्ति दिलाई गई
4.5 करोड़ से अधिक फलों के पेड़ लगाये गए, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया गया और कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई
मुंबई, 09 फरवरी 2024: प्रसिद्ध सोशल एक्टिविस्ट मयंक गांधी की अगुवाई में ग्लोबल विकास ट्रस्ट (जीवीटी) नामक एनजीओ ने पूरे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आत्महत्या और सूखा प्रभावित क्षेत्रों, खासकर बीड और परली में जल संधारण का काम कर वहां के किसानों के जीवन में परिवर्तनकारी ला दिया है. इसकी चारों ओर तारीफ हो रही है। प्रतिष्ठित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (टिस) द्वारा किये गए एक असेसमेंट इम्पैक्ट स्टडी में जीवीटी के कामों पर मुहर लगी है और जो बताता है कि किस कदर कृषि क्षेत्र में विकास और किसान कल्याण का काम इस संस्था द्वारा किया गया है. किसानों की बढ़ी आय का मूल्यांकन और उसके प्रभाव पर प्रकाश डालने वाले अध्ययन को शुक्रवार 9 फरवरी को एक शानदार समारोह में रिलीज किया गया जिसमें ग्लोबल विकास ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी श्री मयंक गांधी, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, हैदराबाद कैम्पस के प्रोफेसर और उप निदेशक प्रो. एस. सिवा राजू, यूपीएल की वाईस चेयरमैन सैंड्रा श्रॉफ, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल, मुंबई में ग्रीस के महावाणिज्यदूत और जीवीटी सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष सुशील कुमार जीवराजका, जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन के सीईओ अश्विनी सक्सेना सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में खेती करने के तौर तरीके में क्रांति लाने और किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में जीवीटी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया.
TISS के सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन सीएसआर द्वारा तैयार की गई इस व्यापक रिपोर्ट में महाराष्ट्र के पालघर, नांदेड़, बीड, सोलापुर, उस्मानाबाद (धाराशिव), जलगांव के साथ साथ बुरहानपुर और धार/बड़वानी सहित विभिन्न जिलों में जीवीटी की पहल के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। मध्य प्रदेश में 1248 किसानों और स्टेकहोल्डरों को शामिल कर किए गए सूक्ष्म सर्वेक्षणों के आधार पर यह अध्ययन जीवीटी के उल्लेखनीय और परिवर्तनकारी काम के बारे में ठोस सबूत प्रदान करता है।
इस मौके पर ‘ग्लोबल विकास ट्रस्ट’ के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री मयंक गांधी ने कहा, “देश की तरक्की के लिए बेशक शिक्षा और हेल्थ केयर पर फोकस अच्छी बात है, लेकिन भारत को बदलने का एकमात्र तरीका बड़े पैमाने पर टिकाऊ और दमदार पैदावार वाली खेती है। इसके जरिये, छोटे किसानों की आय को बढ़ाकर भारत को फिर से "सोने की चिड़िया" बनाया जा सकता है। खराब से खराब कृषि इलाकों में किसानों की आय को दस गुना बढ़ जाना हमारे इसी सोच को मान्यता प्रदान करता है।“ गौरतलब है कि TISS का मूल्यांकन का स्टैण्डर्ड अपने आप में एक मिसाल है. 1936 में स्थापित इस संस्था स्थायी, न्यायसंगत और भागीदारी विकास को बढ़ावा देने में अन्य संगठनों की काफी मदद की है और उन्हें राह भी दिखाई है।“
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, हैदराबाद कैंपस में प्रोफेसर और उप निदेशक प्रो. एस. सिवा राजू ने कहा, कि “टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) में सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन सीएसआर ने ग्लोबल विकास ट्रस्ट (जीवीटी) की पहल से कृषि विकास के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक अध्ययन किया है। इसमें यह देखा गया है कि उच्च गुणवत्ता वाले पौधों की उपलब्धता और उनका उपयोग कृषि उत्पादन में वृद्धि तो करता ही है, साथ ही में यह कीटों और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से उबरने की भी सहूलियत देता है। गुणवत्तापूर्ण पौधों को अपनाने से न केवल कृषि पैदावार में वृद्धि हुई, बल्कि पश्चिमी क्षेत्र में फसल विविधता लाने और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जीवीटी द्वारा बागवानी को बढ़ावा देने से पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिला, क्योंकि संगठन जैविक खेती और पर्माकल्चर जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को ज्यादा सही मानता है।“
जबकि मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सर्विसेस के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने कहा कि, “उम्मीद के बीज बोने से समृद्धि प्राप्त करने तक का सफ़र जो है वह मयंक गांधी के नेतृत्व में ग्लोबल विकास ट्रस्ट का मैजिक है। किसानों की आय में दस गुना वृद्धि बहुत मायने रखती है. हमारी कंपनी एमओएफएसएल और मैं इस यात्रा का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि हमने एक टिकाऊ और संपन्न ग्रामीण भारत के निर्माण की संकल्पना के साथ हाथ मिलाया है।“
जीवीटी की प्रशंसा करते हुए मुंबई में ग्रीस के महावाणिज्यदूत और जीवीटी सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष सुशील कुमार जीवराजका ने कहा, “पिछले पांच वर्षों से, मयंक गांधी के नेतृत्व में ग्लोबल विकास ट्रस्ट, ग्रामीण समुदायों में वास्तविक और आमूल चूल परिवर्तन ला रहा है. उनके काम ने अनगिनत किसानों को पॉवर दिया है और जैसा कि TISS ने पुष्टि की है, एक वर्ष के भीतर उनकी आय में उल्लेखनीय दस गुना वृद्धि हुई है। जीवीटी के सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में मैं उनके प्रभावशाली काम से बेहद प्रभावित हूं। मैं कृषिकुल को लेकर भी बहुत रोमांचित हूं और इसमें किसानों के कौशल और ज्ञान को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता है। मैं जीवीटी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं और कृषिकुल के लॉन्च का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।“
यूपीएल की उपाध्यक्ष सुश्री सैंड्रा श्रॉफ ने कहा कि, “मयंक गांधी के नेतृत्व में ग्लोबल विकास ट्रस्ट, सिर्फ पेड़ नहीं लगा रहा है, बल्कि वे आशा का निर्माण कर रहे हैं. जैसा कि TISS अध्ययन से पता चला है कि 4,000 गांवों में किसानों की आय में दस गुना वृद्धि देखना वास्तव में प्रेरणादायी है। यूपीएल और मैं इस आंदोलन का हिस्सा बनने, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्जवल भविष्य को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित महसूस कर रहे हैं। जबकि बोरोसिल रिन्यूएबल्स लिमिटेड के अध्यक्ष प्रदीप कुमार खेरुका ने कहा कि मयंक गांधी के नेतृत्व में ग्लोबल विकास ट्रस्ट, समूचे ग्रामीण परिदृश्य और जीवन को बदल रहा है। 4.5 करोड़ फलों के पेड़ लगाना अपने आप में बहुत बड़ी कामयाबी है। हालिया TISS सर्वेक्षण में केवल एक वर्ष में किसानों की आय में दस गुना वृद्धि दिखाई गई है, जो बहुत कुछ कहती है। हमें सतत ग्रामीण विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ एकजुट होकर जीवीटी के मिशन का समर्थन करने पर गर्व है।“
मयंक गांधी के बारे में: मयंक गांधी एक अंतरराष्ट्रीय शहरी योजनाकार थे जो बाद में एक सामाजिक कार्यकर्ता बन गए। उन्होंने महाराष्ट्र में आरटीआई और कई अन्य कानूनों सहित कई रिफार्म पर काम किया है। 2011 में, अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के साथ उन्होंने इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन शुरू किया और बाद में AAP पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का हिस्सा बने। लेकिन 2016 में उन्होंने पूरी तरह से राजनीति छोड़ दी और किसान कल्याण के लिए भारत के कुछ सबसे खराब क्षेत्रों में काम करने के लिए अपना स्वयं का एनजीओ, ग्लोबल विकास ट्रस्ट शुरू किया।
तब से, जीवीटी आत्महत्या और सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों की वार्षिक आय 38,600 रूपये सालाना से बढ़ाकर 3,90,000 रूपये करने में सहायक रहा है। फसल पैटर्न बदलने के अपने मॉडल के साथ, गाँधी महाराष्ट्र और एमपी के चार हजार से अधिक गांवों में 22000 से अधिक किसान परिवारों को गरीबी के दुश्चक्र से निकालने में सफल रहे हैं। यह बदलाव 4.5 करोड़ से अधिक फलों के पेड़ लगाकर, किसानों को उनकी आय बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और समर्थन देकर हासिल किया गया है।
जीवीटी की निगहबानी में बन रहा एक नया, अत्याधुनिक वैश्विक कृषिकुल किसान प्रशिक्षण केंद्र निर्माणाधीन है और इसका उपयोग देशभर के किसानों को उनकी आय 4 से 10 गुना बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए किया जाएगा।ग्लोबल विकास ट्रस्ट के बारे में:
ग्लोबल विकास ट्रस्ट (जीवीटी) एक गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) है जो ग्रामीण भारत में बदलाव के लिए समर्पित है। टिकाऊ कृषि पर मुख्य ध्यान देने के साथ, जीवीटी का मिशन छोटे और गरीब किसानों को सशक्त बनाना है, जिससे उन्हें गरीबी के दुशचक्र को तोड़ने और आर्थिक समृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी। जीवीटी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट फलदार वृक्ष रोपण (fruit tree plantation) है जिसमें किसानों को फलदार वृक्षों की खेती के लिए प्रेरित करना, उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि करना और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना शामिल है। जीवीटी 4,100 से अधिक गांवों में काम करता है, जो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 27 जिलों में 33,000 से अधिक एकड़ क्षेत्र को कवर करता है और जिससे भारत के 21,000 से अधिक किसान परिवार प्रभावित होते हैं। जनवरी 2024 तक, ग्लोबल विकास ट्रस्ट ने 4.5 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए हैं। इसके अलावा, जीवीटी ने जल संरक्षण परियोजनाओं पर काम किया है, जिसमें नदी चौड़ीकरण, चेक डैम निर्माण और ग्लोबल रिवर एक्वाशाफ्ट (जीआरए) शामिल हैं, जो जल संसाधनों में सुधार करते हैं और गांव के विकास को बढ़ाते हैं।कृषिकुल एक तैयार हो रहा किसान प्रशिक्षण केंद्र और प्रदर्शनी स्थल है जिसे ग्लोबल विकास ट्रस्ट द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण और समकालीन कृषि प्रौद्योगिकियों और तौर तरीकों तक पहुंच प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है।ग्लोबल विकास ट्रस्ट और इसकी पहल के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें:
https://www.globalvikastrust.org