Friday, April 16, 2021

फ़िल्म ‘ बार्डो ‘ ६७ वें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

 फ़िल्म ‘ बार्डो ‘ ६७ वें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित


६७ वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हाल ही में दिल्ली में की गई थी। सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्मों की सूची में ‘बार्डो’ सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म बन गई, जबकी बार्डो सिनेमा के ‘रान पेटलं’ गीत के लिए गायिका ‘सवानी रविंद्र’ को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिक का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। अब  बार्डो के निर्देशक भिमराव मुडे, निर्मात्री ऋतुजा गायकवाड-बजाज, सह-निर्माता रोहन-रोहन, निषाद चिमोटे , सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार  जीतनेवाली सावनी रवींद्र और बार्डो फिल्म  के कलाकारों और तकनीशियनों की सराहना पूरे देश मे हो रही है।


बार्डो के निर्देशक भिमराव मुडे ने राष्ट्रीय पुरस्कार के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि , “जब बार्डो के लिए सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की गई थी। उस समय की खुशी ,भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। यह खबर सुनते ही मेरी आँखें अपने आप ही बंद हो गईं थीं और उन सभी के मुस्कुराते चेहरों को मैंने देखा जो हमारे साथ बार्डो के लिए काम कर चुके थे। हम सभी का ये सपना था , जो इस पुरस्कार के साथ पूरा हुआ। कुछ चीजें हासिल करने के लिए कभी-कभी कुछ चीजों को खोना पड़ता है। पुरस्कार मिलने की मुझे खुशी  है पर दुख इस बात का है कि प्रमुख सहायक कला-निर्देशक नीलेश मोरे और अभिनेता कुणाल बने इन पलों को महसूस करने के लिए हमारे साथ नहीं रहे। मैंने फिल्म बार्डो .. ड्रीम रिलेटिविटी .. (Theory of Dream Relativity) में जो कहानी पेश की है, वह हक़ीकत में पूरी होती दिखी। मैंने इस फिल्म में जो कहानी बताने की कोशिश की है उसका एक जीता-जागता उदाहरण भी मैंने देख लिया है। 


”हिंदी और मराठी सिनेमा के जाने माने संगीतकार रोहन-रोहन, फ़िल्म बार्डो के सह-निर्माता भी हैं। वह बार्डो फिल्म के बारे में कहते हैं, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि बार्डो ने दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। एक निर्माता के रूप में बार्डो हमारी पहली फिल्म है। और उस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना सोने पर सुहागा की तरह है।रान पेटलं ’ गीत श्वेता पेंडसे द्वारा लिखा गया है, संगीत हमारे द्वारा ही दिया गया और इसी गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का पुरस्कार सावनी रवींद्र को मिला तो यह सब हमारे लिए एक सपना सच होने जैसा था। ”

बार्डो की निर्मात्री ऋतुजा गायकवाड़-बजाज के अनुसार, “मैंने पहले भी विभिन्न विषयों पर लघु फिल्में की हैं। एक निर्माता के रूप में बार्डो मेरी पहली फिल्म है। वास्तव में जब बार्डो के निर्देशक भीमराव मुडे और रोहन-रोहन से स्क्रिप्ट सुनी तो मैं फिल्म बनाने के लिए तैयार हो गई थी। और अब फिल्म को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा रहा है जो अविस्मरणीय पल है। 

बार्डो फिल्म निर्माता निषाद चिमोट ने बार्डो के निर्माण के बारे में कहा, “बार्डो की निर्माण प्रक्रिया से बहुत  कुछ सीखने को मिला। क्योंकि बार्डो फिल्म को विज्ञान और कला की अवधारणा से बनाया गया था। इस फिल्म का विषय बहुत अलग है। सभी के दिमाग में केवल यही बात थी कि इस मुद्दे को लोगों के ध्यान में लाया जाए। और इसलिए यह हुआ। बार्डो को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। पूरी बार्डो फिल्म टीम को उनकी कड़ी मेहनत के लिए पुरस्कृत किया गया। ”

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