Tuesday, May 16, 2023

'मुंबई में नागरिक समस्याओं की स्थिति पर रिपोर्ट, 2023'

 'मुंबई में नागरिक समस्याओं की स्थिति पर रिपोर्ट, 2023' 

 प्रजा फाउंडेशन ने 'मुंबई में नागरिक समस्याओं की स्थिति पर रिपोर्ट, 2023' जारी की। मुंबई में ठोस कचरे के निपटान, सीवरेज, और हवा एवं पानी की गुणवत्ता से संबंधित लगातार बढ़ती समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

मुंबई में, ठोस कचरे के निपटान से संबंधित नागरिकों की शिकायतों में 124% की वृद्धि हुई है (2013 में 5,519 से बढ़कर 2022 में 12,351 हो गई), जबकि वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों में 237% की वृद्धि दर्ज की गई (2013 में 65 शिकायतों से बढ़कर 2022 में 219 शिकायतें दर्ज की गई)। इसी अवधि में जल निकासी से जुड़ी समस्याओं में 35% (2013 में 12,708 शिकायतों से बढ़कर 2022 में 17,121 शिकायतें दर्ज की गई) की बढ़ोतरी हुई है। हालाँकि, 2022 में औसतन इन शिकायतों को हल करने में 31 दिनों का समय लगा, जो बहुत अधिक है।

इस बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक एवं मैनेजिंग ट्रस्टी, निताई मेहता ने कहा, “मुंबई में अकुशल स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रियाओं के कारण वायु प्रदूषण, गर्मी की लहरें, और दूषित जल निकायों जैसे प्रमुख जलवायु परिवर्तन के मुद्दों का सामना करना पड़ता है।। 2018 से 2022 तक के पिछले 5 सालों में अधिकतम औसत वार्षिक AQI 2022 (औसत वार्षिक AQI-125) में दर्ज किया गया था। 2022 में, बीएमसी की मुंबई जलवायु कार्य योजना (MCAP) में ठोस कचरे के निपटान और सीवरेज के गंदे पानी के ट्रीटमेंट की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए लक्ष्य के साथ कदम उठाना और हवा की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए उपायों को अमल में लाना शामिल है, जो एक सकारात्मक कदम है।”

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रजा फाउंडेशन के सीईओ, मिलिंद म्हस्के ने कहा, “राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (NIUA) की ओर से कचरे के उत्पादन में कमी लाने, कचरे को स्रोत पर संसाधित करने और लैंडफिल में भेजे जाने वाले कचरे को कम करने के लिए एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (ISWM) प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया है। बीएमसी की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट (ESR) 2021-22 से पता चलता है कि एकत्र किए गए 6,300 एमटीडी कचरे का 73% गीला कचरा है। ईएसआर 2021-22 में कहा गया है कि दैनिक आधार पर देवनार डंपिंग ग्राउंड को लगभग 12% (700 MTD) कचरा और कांजुरमार्ग लैंडफिल को 88% (5,500 MTD) कचरा भेजा जाता है जहाँ कचरे से बिजली पैदा करने वाला संयंत्र लगाया गया है।”

म्हस्के ने आगे कहा, “बीएमसी भी कचरे के निपटान की विकेन्द्रीकृत प्रक्रियाओं को अपनाकर कचरे को लैंडफिल तक ले जाने की लागत को कम कर सकती है। अधिक स्पष्ट तौर पर कहा जाए, तो सभी 24 वार्डों से 1 MTD कचरे को इकट्ठा करने और उसे लैंडफिल तक पहुंचाने पर होने वाला खर्च अनुमानित रूप से 3,840 रुपये/दिन है। इस लिहाज से देखा जाए, तो 6,300 MTD कचरे के परिवहन के लिए बीएमसी को हर दिन 2.42 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है और सालाना यह लागत 883 करोड़ रुपये हो जाती है जो काफी अधिक है। इसके अलावा, कांजुरमार्ग लैंडफिल में हर दिन एक मीट्रिक टन कचरे के संचालन एवं रखरखाव (O&M) की अनुमानित लागत 3,000 रुपये है। इस प्रकार, सालाना 5,500 MTD कचरे के संचालन एवं रखरखाव की लागत 602 करोड़ रुपये है। बीएमसी को इन खर्चों को कम करने के लिए विकेन्द्रीकृत कचरा प्रबंधन (SWM) को अपनाना चाहिए, जिसे स्वच्छ मुंबई प्रबोधन अभियान (SMPA) मॉडल (एक ऐसी योजना, जिसमें समुदाय के स्तर पर काम करने वाले संगठन शामिल होते हैं, और वे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवारों से कचरा इकट्ठा करके उसे वार्ड के भीतर संसाधित करते हैं) के तहत F/S वार्ड में नगरसेवक वार्ड संख्या 203 में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।“

योगेश मिश्रा, प्रमुख - अनुसंधान एवं विश्लेषण, प्रजा फाउंडेशन ने कहा, " कचरा प्रबंधन (SWM) के विकेन्द्रीकरण का कारगर तरीका अपनाना समय की मांग है, ताकि कचरे का स्रोत पर निपटान किया जा सके और उसे संशोधित किया जा सके, और स्वच्छ भारत मिशन भी तो इसी उद्देश्य पर केंद्रित है। साल 2022 में, बीएमसी द्वारा सभी 24 वार्डों से औसतन 6,385 MTD कचरा (RTI के जरिए प्राप्त डेटा) इकट्ठा किया गया था, जिनमें से हर दिन सबसे ज्यादा कचरा वार्ड L (491 MTD), G/N (459 MTD) और K/E (441 MTD) से एकत्र किया गया था। हालांकि, हर वार्ड में कचरा संग्रहण आंकड़े बताते हैं कि, प्रति व्यक्ति प्रति दिन सबसे ज्यादा कचरा वार्ड A, B और H/W से एकत्र किया गया था – जो क्रमशः 0.90 किग्रा, 0.84 किग्रा और 0.76 किग्रा था।

प्रजा फाउंडेशन की प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, रिनी चेरियन ने कहा, “कचरा प्रबंधन (SWM) नियम 2016 के अनुसार, बल्क वेस्ट जेनरेटर (BWG) सोसायटियों (प्रति दिन 100 किलोग्राम से अधिक कचरा पैदा करने वाली सोसाइटी) को अपने कचरे, खास तौर पर गीले कचरे को स्रोत पर संसाधित करने की जरूरत होती है। लेकिन, मुंबई में 2,825 BWG सोसाइटी में से 50% (1,401) अपने गीले कचरे को स्रोत पर संसाधित नहीं कर रहे हैं।”

इसके अलावा, 2021 में सभी प्रमुख समुद्र तट आउटलेट्स में औसत अधिकतम बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 22 मिलीग्राम/लीटर दर्ज की गई थी, जो सीपीसीबी (CPCB) द्वारा तय किए गए <3 मिलीग्राम/लीटर के निर्धारित मानदंड से काफी अधिक है। इसके अलावा, मीठी नदी का पानी मल और उससे संबंधित विषाणुओं की वजह से हद से ज्यादा प्रदूषित हो चुका है (17000MPN /100ml), जो CPCB द्वारा तय की गई 2500 MPN/100ml की सीमा से काफी अधिक है।

निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए मिश्रा ने कहा, "कचरे का कारगर तरीके से निपटान करने की दिशा में बीएमसी के लिए पहला कदम ही होगा कि, 2016 के कचरा प्रबंधन (SWM) नियमों के अनुसार बीएमसी भी 2006 के अपने कचरा प्रबंधन (SWM) उप-नियमों को संशोधित करे। बीएमसी में इसी उद्देश्य के लिए एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि की जरूरत है, जो नए कचरा प्रबंधन (SWM) उप-नियमों की प्राथमिकता तय करे, उन पर विचार-विमर्श करे और अंतिम रूप दे। बीएमसी को F/S वार्ड की परियोजना के दायरे को बढ़ाकर इसे सभी पार्षद वार्डों में लागू करना चाहिए, जो लैंडफिल में शून्य कचरा भेजने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर सकता है। मुंबई की नदियों और तटों की दशा को सुधारने के साथ-साथ जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए कारगर उपायों को अपनाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। MCAP को असरदार तरीके

से लागू करने और मजबूत निगरानी से मुंबई में जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिल सकती है, साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य को सुनिश्चित किया जा सकता है।”

प्रजा के बारे मे:

प्रजा फाउंडेशन हमारी सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए पिछले दो दशकों से काम कर रही है। नागरिक मुद्दों पर आँकड़ों का अध्ययन करके और नागरिकों, मीडिया और सरकार और प्रशासनिक निकायों को इसकी जानकारी प्रसारित करके, प्रजा जनप्रतिनिधियों के साथ भी काम करती हैं। यह जन-प्रतिनिधियों को उनके कार्य में त्रुटियों को सुधारने में सहायता करने, सूचना की पूर्णता को बढ़ाने और स्थिति में सुधार के लिए उचित उपाय करने के लिए प्रेरित करने के रूप में है। प्रजा का उद्देश्य लोगों के जीवन को सरल बनाना, नागरिकों को अधिकार देना और सरकार को सही स्थिति बताना और साथ ही भारत के नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार करना है। प्रजा लोगों की भागीदारी के माध्यम से एक जवाबदेह और कुशल समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।


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